डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। सामाजिक भेदभाव के विरोध में कार्य करने वाले सबसे प्रभावशाली लोगो में से एक Dr. Br Ambedkar थे। विशेषतः बाबासाहेब आंबेडकर – भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक के नाम से जाने जाते है। महिला, मजदूर और दलितों पर हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने और लढकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जाते है। भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया। उनके जीवन को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी – "जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिये" BR AMBEDKAR
शहीद उधम सिंह की 117 वीं जयंती पर 26 दिसंबर को देशभर में उन्हें याद किया गया। अत्याचारी अंग्रेज जनरल ओ डायर को उसके देश में जाकर मारने वाले ऊधम सिंह को सिर्फ किताबों में ही जाना जाता है। इतिहास में उन्हें वो जगह नहीं मिल पाई जिसके वे असली हकदार थे। दुश्मन को उसके घर में मारना, वो भी विदेश में जाकर अपने आप में एक महान और साहसिक कारनामा था लेकिन जाति उनके गुणगान में बाधा बन गई। पुराने समय से ही जातिवाद से ग्रसित समाज ने उन्हें इतिहास में भी सीमित कर दिया। निश्चित तौर पर यह सब उनकी जाति के कारण ही हुआ। दरअसल वे उस जाति और समाज का हिस्सा नहीं थे जिनके हाथों में कलम रही है। कलम वालों का इतिहास रहा है कि वे एक तरफा महिमामंडन करते रहे हैं। तमाम तरह के आडंबरों और झूठों का महिमामंडन करने वाली कलम को असली नायकों के बारे में लिखने में शायद लकवा मार गया। ऊधम सिंह भी अगर डायर को मारने इंग्लैंड नहीं गए होते तो पूरी संभावना थी कि जितना आपको उनके बारे में जानकारी है वो भी नहीं नसीब हो पाती। क्रान्तिकारी उधम सिंह का जन्म पंजाब के संगरुर जिले के सुनाम गांव में 26 दिसंबर 1899 को हुआ था। उनके पिता चुहड राम व माता का नाम नारायणा देवी पंजाब से मजदूरी करने यूपी के कानपुर में आ गए थे। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन डॉ। सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी और रोल्ट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में लोगों ने एक सभा रखी थी, जिसमें सभी धर्मों के लोग मौजूद थे। उधम सिंह यहां सबको पानी पिलाने का काम कर रहे थे। इस सभा से तिलमिलाए पंजाब के तत्कालिन गवर्नर माइकल ओ डायर ने ब्रिगेडियर जनरल एडवर्ड हैरी डायर को आदेश दिया कि वह भारतीयों को गोलियों से भून दे। जनरल डायर ने अपने 90 सैनिकों को लेकर जलियावाला बाग को चारों तरफ से घेर लिया और निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवा दीं, जिसमें सैकड़ों भारतीय मारे गए। मरने वालों में औरतें, बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी थे। गोलियों के खौफ से कई लोग पार्क में मौजूद कुंए में कूद गए जिसमें डूबने से उनकी मौत हो गई। 120 शव तो सिर्फ कुएं से ही निकाले गए थे। इस घटना के बाद उधमसिंह ने प्रतिज्ञा ली कि वे डायर को मारे बिना चैन की सांस नहीं लेंगे। तब उन्होंने जलियावाला बाग काण्ड के जिम्मेदार जनरल डायर को इग्लैण्ड में जाकर गोली मारी। इसमें डायर और उनके दो अंगरंक्षकों की मृत्यु हुई थी। इसके बाद उधम सिंह ने अपनी तरफ से कोई सफाई देने के बजाय जान देना स्वीकार किया। 31 जुलाई 1940 को वीर उधम सिंह को 'पेंटनवीले जेल' में फांसी दे दी गई। 31 जुलाई 1974 को ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए। उधम सिंह के गांव में उनके नाम से स्मारक बना है लेकिन उनका घर उपेक्षाओं की मार झेल रहा है। गांव के कुछ लोगों ने उधम सिंह की विरासत (उनके घर) को बचाने का जिम्मा लिया हुआ है। सरकारें राजनीतिक लाभ के लिए मूर्तियों और स्मारकों पर भले ही अरबों रुपये बहाती रही हैं लेकिन दलित महापुरुषों के नाम पर चुप्पी साध जाती हैं।
His political views and the alliances he made with Nazi and other militarist regimes at war with Britain have been the cause of arguments among historians and politicians, with some accusing him of fascist sympathies, while others in India have been more sympathetic towards the realpolitik that guided his social and political choices.
The significance of Mandela can be considered in two related ways. First, he has provided through his personal presence as a benign and honest conviction politician, skilled at exerting power but not obsessed with it to the point of view of excluding principles, a man who struggled to display respect to all... Second, in so doing he was able to be a hero and a symbol to an array of otherwise unlikely mates through his ability, like all brilliant nationalist politicians, to speak to very different audiences effectively at once.
Live simply so others may simply live. I want you to be concerned about your next door neighbor. Do you know your next door neighbor? Peace begins with a smile. Love begins at home, and it is not how much we do... but how much love we put in that action. Be faithful in small things because it is in them that your strength lies. One of the greatest diseases is to be nobody to anybody.